अजनबी की पहचान

Tuesday, June 1, 2010

जागो झारखंड, नया सबेरा लाना है

राष्ट्रपति शासन, छे महीने पूरा होने से पहले एक बार फिर से राष्ट्रपति शासन। और बीच के महीनों में इस गैप का पूरा फायदा उठाने की कोशिश। ये राष्ट्रपति शासन एक गैप ही तो है- झारखंड के साढ़े तीन करोड़ लोगों के सपनों और उन सपनों को हासलि करने के लिए की गई कोशिश के बीच। ज़रा सोचिए - हम और आप झारखंड को उस मुकाम पर ले जाने के लिए क्या कर रहे हैं। क्या हम इसपर और उसपर सारी जिम्मेदारी फेंककर भाग नहीं रहे हैं।
अगर आप आम जनता हैं तो क्या आपका काम एक बार वोट देना और बार-बार गालियां देना- बस इतना भर है।


अगर आप राजनीतिक कार्यकर्ता हैं तो क्या आपका काम आलाकमान का हुकुम बजाना भर है।

अगर आप पत्रकार हैं तो आपका काम दलालों को पानी पी-पीकर कोसना भर है।

अगर आप बुद्धिजीवी हैं तो क्या आपका काम सिर्फ मुंह मोड़ लेने से चल जाना चाहिए।

अगर आप व्यवसायी हैं तो आपका काम किसी तरह चलता रहे- इतना भर काफी है।

अगर आप छात्र हैं तो क्या दिल्ली या बैंगलोर चले जाने से आपकी सारी समस्य़ा खत्म हो जाएगी।

अगर आप सिंगापुर या अहमदाबाद में नौकरी करते हैं तो क्या आपको चक्रधरपुर में बैठे अपने मां-बाप,भाई-बहन,यार-दोस्तों की खुशी नहीं चाहिए।

अगर आप राजनेता हैं तो क्या आप चमड़ी मोटी करके जीवन भर काम चला लेंगे।

आप कुछ भी हो सकते हैं। आपके लिए कोई ना कोई रास्ता भी निकल ही जाएगा।

लेकिन आपने जो सपना देखा है उसका क्या होगा।

अपने सपने की खातिर जागो।

सोते रहोगे तो सपना सपना रहेगा।

जागोगे तो सपना हकीकत बन जाएगा।

जागो झारखंड जागो।


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