
गर्मी सबके सिर चढ़कर बोल रही है। जहां बारिश हो चुकी है और मौसम ठीक हो गया है वहां भी गर्मी की ही चर्चा है। सच पूछिए तो लगता है जैसे ग्लोबल वार्मिंग अखबारों-किताबों से निकलकर बदन पर लिपट गया है। साल में एकाध दिन रिकार्ड तोड़ तापमान एक बात है और लगातार ऊंचे तापमान पर जीने की मजबूरी एक और बात। मन में सवाल उठता है कि क्या ये गर्मी प्रकृति का कोई संदेश देना चाहती है। विद्वान लोग प्रकृति से खिलवाड़ और संसाधनों के विवेकहीन दोहन के प्रति चेताया करते हैं, लेकिन अब तो लगता है खुद प्रकृति आगे आकर चेता रही है।