झारखंड में आमजन निराश है और खास लोग चाहते हैं कि ये माहौल बना रहे। दरअसल दस साल के इस राज्य में जो लोग उभरे हैं उनमें ज्यादातर में इस आत्मविश्वास की घोर कमी है कि उन्होंने जो हासिल किया है वो उसके लायक हैं। उन्हें लगता है कि वो निराशा के माहौल और मौकापरस्ती के हुनर की वजह से उभर पाए हैं। ऐसा लगना काफी हद तक स्वाभाविक है और ऐसे लोग झारखंड समाज के हर तबके के मौजूद हैं- राजनीति में, व्यवसाय में, सामाजिक क्षेत्र में, शिक्षा जगत में, यहां तक कि सिविल सेवा की कठिन बाधा लांघकर आने वाले नौकरशाह भी इस ग्रंथि से मुक्त नहीं हैं।