अजनबी की पहचान

Saturday, February 2, 2013

कसौटी
मनोज वाजपेयी के साथ



Wednesday, January 16, 2013

राजनीति का गुलमोहमर



जिएं तो अपने बगीचे में गुलमोहर के तले

मरें तो गैर की गलियों में गुलमोहर के लिए

धूमिल की इन पंक्तियों का अक्सर उल्लेख करते थे कामरेड मेहन्द्र। एक दिन खुद ही गुलमोहर हो गए।

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