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अबकी बारी, कौन बिहारी |
2004 के आम चुनावों में अटल जी के प्रधानमंत्रीत्व और नेतृत्व में, एनडीए इंडिया शायनिंग कैंपेन पर सवार होकर मैदान में उतरा और औंधे मुंह गिरा। भले उसकी यादें धूमिल हो गईं हों, लेकिन भारत के चुनावी इतिहास में ये एक ऐसी घटना थी, जिसने सेफोलॉजिस्ट बिरादरी को बगले झांकने पर मजबूर कर दिया था। चुनावी विश्लेषण के महापंडितों ने भी नहीं सोचा था कि देश के सर्वाधिक लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों में से एक, अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाले एनडीए कि नियति में ऐसी दुर्गति बदी है। इसका कोई संतोषजनक विश्लेषण आज तक सामने नहीं आया है। चुनावी अभियान में ‘शायनिंग’ शब्द का दोबारा इस्तेमाल नहीं हुआ है। बिहार में एनडीए गठबंधन ने भी शायनिंग शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है, मगर नीतीश के जनसंपर्क का भाव कमोबेश यही है - बिहार शायनिंग।