अजनबी की पहचान

Monday, May 17, 2010

ज़रूरी है झारखंड में चुनाव



नेताओं(राजनेताओं) के व्यक्तिगत स्वार्थ को हटाकर देखा जाए तो पिछले चुनाव के बाद से लेकर अब तक न तो झारखंड की जनता ने कुछ हासिल किया ना ही राजनीतिक बिरादरी ने, और आगे भी कुछ हासिल होगा, ऐसा लगता नहीं है। उल्टा राजनीतिक बिरादरी अपनी साख खोती जा रही है। राज्य एक खतरनाक राजनीतिक शून्य की तरफ बढ़ रहा है। ऐसे में जनता की ज़रूरत भी है और जिम्मेदारी भी कि वो बीच बचाव करे। उसका एकमात्र ज़रिया है चुनाव – झारखंड में चुनाव ज़रूरी है।

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