अजनबी की पहचान

Thursday, May 13, 2010

छे महीने का डिप्लोमा


छे महीने बाद घर में छुट्टियों का आनंद ले रहा हूं.....और गर्मी की छुट्टियां तो ना जाने कितने साल के बाद आई हैं मेरे जीवन में.....भविष्य की अनिश्चितता से डर नहीं लग रहा....क्योंकि शायद पहले भी भविष्य इतना ही अनिश्चित था.....बल्कि भविष्य को लेकर एक खुलापन सा महसूस हो रहा है.....वैसे भी जहां पूरे समाज और देश का भविष्य अनिश्चितता के आवरण से झांक रहा है......वहां मैं एक बिन्दू से ज्यादा शायद कुछ भी नहीं.....और ये बिन्दू अगर ढुंढना भी चाहूं तो क्या मिलेगा....वक्त का दरिया अपना रास्ता खुद बना लेता है..

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