अजनबी की पहचान

Thursday, May 13, 2010

छे महीने का डिप्लोमा


छे महीने बाद घर में छुट्टियों का आनंद ले रहा हूं.....और गर्मी की छुट्टियां तो ना जाने कितने साल के बाद आई हैं मेरे जीवन में.....भविष्य की अनिश्चितता से डर नहीं लग रहा....क्योंकि शायद पहले भी भविष्य इतना ही अनिश्चित था.....बल्कि भविष्य को लेकर एक खुलापन सा महसूस हो रहा है.....वैसे भी जहां पूरे समाज और देश का भविष्य अनिश्चितता के आवरण से झांक रहा है......वहां मैं एक बिन्दू से ज्यादा शायद कुछ भी नहीं.....और ये बिन्दू अगर ढुंढना भी चाहूं तो क्या मिलेगा....वक्त का दरिया अपना रास्ता खुद बना लेता है..
..तिनके की तरह बहने का अपना आनंद है और वक्त के बहाव में खुद को संतुलित करने का अपना तनाव है.....इन दोनों के बीच चुनने की आजादी है तो नहीं चुनने की स्वतंत्रता भी है......लेकिन पिछले छे महीनों में जितने दोस्त मिले हैं और निर्णय और अनिर्णय की हर स्थिति में साथ खड़े दिखाई देते हैं.....ये आभाष एक नई बात है.....छे महीने का डिप्लोमा पूरा हुआ

5 comments:

  1. Is Diploma Ke Baad Campus Selection Nahi Hua To Kya Baat Hui, Aapki Pehchaan Koi Jauhari Hi Kar Sakta Hai, Ab sawaal yeh hai ki woh Jauhri Ki Aapse Mulaqat Kab Hoti Hai. Kam se kam Diploma Distinction Se Kiya Hai,Iska Sukoon To Hoga Hi.

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  2. धन्यवाद कुंदन, आपके जैसे लोग मेरी सबसे बड़ी ताकत हैं। मैने जो कुछ भी किया है आपकी मेहनत की बदौलत किया है।

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  3. aa schoolwa ke di bhool gaye. khali diploma yad hai

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