अजनबी की पहचान

Sunday, May 16, 2010

बालिका वधू

अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया है.....सभी चैनलों पर एक सप्ताह से सोना बेचा जा रहा है......आज तो बाजार अपने चरम पर है....वैसे सोने का भाव भी चरम पर है.....लेकिन लगता है बालिका वधू की टीआरपी गिर गई है.....वर्ना क्या बात है कि इस बार अक्षय तृतीया पर भेड़ बकरियों की तरह ब्याह दी जानेवाली बालिका वधुओं की कोई चर्चा भी नहीं है.....क्या बाल विवाह वाकई रुक गया है.....क्या छत्तीसगढ़ के उस मंदिर में इस बार मेला नहीं लगा......क्या शारदा एक्ट आखिरकार प्रभावी हो गया है.......दिल्ली में हो रही बीस हजार शादियों की तो खूब चर्चा है.....चैनलों पर दिल्लीवालों के लिए चेतावनी भी है....घर से मत निकलना जाम में फंस जाओगे......बाराती नाचेंगे और आप गाड़ी की एसी खर्च करके इंतजार करोगे......लेकिन इस बात की चर्चा भी नहीं कि अक्षय तृतीया पर कितने अनपढ़ गरीब मां बाप अपनी बच्चियों की शादी कर रहे हैं...
...याद कीजिए पिछले कुछ सालों पर अक्षय तृतीया के दो तीन दिन पहले से ही चैनल बताने लगते थे कि अमुक इलाके के अमुक मंदिर में बालिका वधुओं का मेला लगने वाला है......फिर अक्षय तृतीया के दिन ये बाताया जाता था कि फंला समाजिक संस्था की फलां एक्टिविस्ट ने किस तरह जान की परवाह ना करते हुए बाल विवाह रुकवाए......शाम को टॉक शो भी होता था.....इस बार तो ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं दिया......उन प्रदेशों के रीजनल चैनलों पर भी नहीं जो ऐसे बाल विवाह के लिए कुख्यात रहे हैं.......कमाल है इंटरटेनमेंट चैनल सीरीयल बनाकर समस्या की तरफ ध्यान खींचते हैं औऱ न्यूज चैनल उसका समाधान करा देते हैं.......लेकिन अगर ऐसा है तो यही बता देते.....आज के दिन मैं तो इंतजार ही करता रह गया....बालिका वधू मैंने कभी नहीं देखी......लेकिन आज इंतजार था......

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